उत्तराखंड

UCC Uttarakhand: 21 साल से कम है लिव-इन कपल की उम्र तो पेरेंट्स को बताना होगा, छिपाने पर जेल और जुर्माना

उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) कानून में लिव इन रिलेशनशिप (live in relationship) के लिए भी कई नियम बनाए गए हैं। सरकार ने पहली बार ये खुलासा किया है कि लिव-इन का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन संभव होगा। कानून के तहत लिव-इन कपल में से यदि एक पार्टनर की उम्र 21 साल से कम है, तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य रूप से पुलिस को सूचित करना होगा। और बयान प्राप्त करने पर माता-पिता को भी बताना होगा। छिपाने पर जेल की सजा और जुर्माना हो सकता है।

उत्तराखंड के UCC में लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के सख्त नियम हैं। नियम के अनुसार कपल्स को एक महीने के भीतर अपने लिव-इन स्टेट्स को रजिस्टर्ड कराना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें तीन महीने की जेल या 10 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है। अगर तीन महीने के आगे रजिस्ट्रेशन नहीं होता है, तो अधिकतम छह महीने की जेल या 25 हजार का जुर्माना या फिर दोनों का सामना करना पड़ सकता।

इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लिव-इन यूनियन से पैदा हुए बच्चों को कानूनी तौर पर कपल्स की वैध संतान के रूप में मान्यता दी जाएगी। उनको विवाह के भीतर पैदा हुए बच्चों की तरह सभी अधिकार मिलेंगे। यह मुद्दा लोकसभा चुनावों के बीच युवाओं के बीच चर्चा का विषय रहा है। बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह के नेतृत्व में नौ सदस्यीय पैनल जरूरी नियमों का मसौदा तैयार करने पर काम कर रहा है, जिसके जून के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।

बता दें कि 6 फरवरी 2024 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता उत्तराखंड- 2024 विधेयक पेश किया था। 13 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने नागरिक संहिता विधेयक को मंजूरी दी। विधेयक में मुख्य रूप से महिला अधिकारों के संरक्षण को केंद्र में रखा गया है। कुल 192 पृष्ठों के विधेयक को चार खंडों विवाह और विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार, सहवासी संबंध (लिव इन रिलेशनशिप) और विविध में विभाजित किया गया है।

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