उत्तराखंड

वनाग्नि को लेकर बहाने बना रही राज्य सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, मुख्य सचिव को किया तलब

Uttarakhand fire incident: उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए प्रदेश सरकार की उदासीनता पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वनाग्नि नियंत्रण के मामले में राज्य सरकार बस बहाने बना रही है। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को 17 मई को व्यक्तिगत रूप से स्पष्टीकरण के साथ हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। जंगल की आग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने और भी क़ई सवाल खड़े किए हैं।

कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को अपर्याप्त धन और वन विभाग के कर्मचारियों को लोकसभा चुनाव की ड्यूटी में लगाए जाने को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की। दूसरी तरफ, शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि जब स्थितियां बदतर थीं तब आपने हमें दिखाया कि चीजें बहुत अच्छी हैं। उसने केंद्र से पूछा कि आग से निपटने के लिए राज्य को जरूरी फंड क्यों नहीं दिया गया। उत्तराखंड के जंगलों में पिछले साल नवंबर से ही आग लगी हुई है। सुप्रीम कोर्ट मई की शुरुआत से ही इस मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है।

उत्तराखंड सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जंगल की आग से निपटने में राज्य सरकार का रवैया बहुत लचर’ रहा है। कोर्ट ने कहा कि ऐक्शन प्लान तैयार था और उसे अंतिम रूप दिया जा चुका है लेकिन उसे लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। बेंच ने उत्तराखंड के वन विभाग में बड़ी तादाद में खाली पदों को लेकर कहा कि इस मुद्दे के भी समाधान की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगा है कि आग बुझाने के लिए सेंट्रल फंड का इस्तेमाल क्यों नहीं हुआ है। कोर्ट ने कहा कि पिछले साल केंद्र ने 9 करोड़ रुपये से ज्यादा दिए लेकिन आग बुझाने पर 3.14 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के चीफ सेक्रटरी से ये भी बताने के कहा है कि वन विभाग में इतनी रिक्तियां क्यों हैं, आग बुझाने के उपकरणों की कमी क्यों है और चुनाव आयोग से विशिष्ट छूट के बावजूद वन विभाग के कर्मचारियों की इलेक्शन ड्यूटी क्यों लगी है।

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