उत्तराखंड में अब उद्योगों को 15 दिन में देना होगा बिजली बिल, नियामक आयोग ने लागू किया नया सिस्टम
उत्तराखंड में अब उद्योगों को 15 दिन में बिजली का बिल जमा करना होगा। नियामक आयोग ने नई दरें जारी करते हुए बिलिंग अवधि कम कर दी है। आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद ने बताया, अब केवल उन उपभोक्ताओं को ही 24 घंटे, सातों दिन लगातार बिजली आपूर्ति का विकल्प दिया जाएगा, जिनके उद्योग इसी हिसाब से चलते होंगे
पहले ये विकल्प कोई भी ले सकता था। आयोग ने पीक आवर में टैरिफ को सामान्य घंटे के टैरिफ के 130 प्रतिशत के बराबर रखा है, तो ऑफ पीक आवर में छूट को 20 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। यूपीसीएल की ओर से महीने में प्रतिदिPन 18 घंटे औसत बिजली आपूर्ति न देने पर एचटी उपभोक्ताओं को डिमांड में 20 फीसदी की छूट मिलेगी।
उद्योगों के लिए टैरिफ संरचना को सरल बनाने के लिए नियामक आयोग ने एलटी उद्योगों की दो उप श्रेणियों को हटाकर उनकी एकल श्रेणी 75 किलोवाट बनाई है। आयोग ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि तीन एमवीए या इससे अधिक क्षमता वाले उद्योगों को 30 के बजाए 15 दिन में बिजली बिल जमा कराना होगा।
इसमें एक खास बात यह है कि इन उद्योगों खासकर फर्नेश उद्योगों पर बिजली बिल बकाया में देरी, जुर्माने से राहत मिलेगी। वहीं, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से बिजली लेने वाले उद्योगों के लिए हरित टैरिफ 28 पैसे प्रति किलोवाट आवर स्वीकृत किया गया है।
एलटी उद्योगों में 25 किलोवाट तक फिक्स चार्ज 170 रुपये प्रति किलोवाट से बढ़कर 185 रुपये प्रति किलोवाट होगा। बिजली की दरें 5.18 रुपये प्रति किलो वोल्ट एंपीयर आवर से बढ़ाकर 5.40 रुपये कर दी गई हैं। 25 किलोवाट से अधिक के कनेक्शन पर फिक्स चार्ज 175 से बढ़ाकर 185 रुपये प्रति किलोवाट किया गया है, जबकि बिजली की दरें 5.15 रुपये से बढ़ाकर 5.40 रुपये प्रति किलो वोल्ट एंपीयर आवर किया गया है। एचटी उद्योगों में 1000 किलोवाट तक फिक्स चार्ज 390 से बढ़ाकर बिल डिमांड पर 410 रुपये प्रति किलोवाट, इससे अधिक पर 460 से बढ़ाकर 480 रुपये किया गया है। वहीं, बिजली की दरें अब छह रुपये से लेकर 6.40 रुपये तक होंगी।