उत्तराखंड

जंगल काटकर बना रहा था रिजॉर्ट, वन्य जीव के अवशेषों से की गई थी सजावट, जांच के लिए पहुंचे कुमाऊँ आयुक्त ने कही ये बात…

पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर उत्तराखंड में रिजॉर्ट और होम स्टे का कारोबार जोर- शोर से चल रहा है, लेकिन इसकी आड़ में उत्तराखंड की धरोहर को निजी स्वार्थ के लिए नुकसान भी पहुंचाया जा रहा है। ऐसा एक मामला नैनीताल जिले में पकड़ में आया है। यहां जंगल और पहाड़ काटकर रिजॉर्ट बनाया जा रहा था, और रिजॉर्ट की सजावट के लिए वन्य जीव के अवशेष का इस्तेमाल किया जा रहा था। मामला कुमाऊँ आयुक्त दीपक रावत के संज्ञान में आने पर उन्होंने कड़ी कर्रवाई करने के निर्देश दिए है।

मामला इस तरह से है कि नैनीताल जिले के बजून स्तिथ घिंघारी तोक में एक रिजॉर्ट का निर्माण चल रहा है। यहां के ग्रामीणों का आरोप था कि रिजॉर्ट निर्माण के लिए अवैध तरीके से पेड़ और पहाड़ काटा गया है। कुमाऊँ आयुक्त दीपक रावत से मामले की शिकायत की गई। शिकायत पर कुमाऊँ आयुक्त ने बजून क्षेत्र का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान आयुक्त ने पाया कि रिजॉर्ट स्वामी धर्मेंद्र सिंह मेहरा द्वारा जहां बड़े पैमाने पर चीड़ और बांज के पेड़ काटे गए हैं। वहीं पहाड़ काटकर अवैध खनन भी किया गया था। रिजॉर्ट में हिरण के अवशेष, आरा मशीन, पत्थर, बजरी और काटे गए पेड़ों के गिल्टे भी मिले थे।

आयुक्त ने एसडीएम प्रमोद कुमार को अवैध खनन की खरीद की जांच करने और वन विभाग के एसडीओ राजकुमार को पेड़ों की जांच के निर्देश दिए। बजून क्षेत्र के फॉरेस्टर मनोज बुडलाकोटी के खिलाफ समय से अपने उच्च अधिकारियों को सूचित न करने पर कार्रवाई के निर्देश दिए। साथ ही होटल स्वामी धर्मेंद्र सिंह मेहरा के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कराने को कहा।

कुमाऊँ आयुक्त दीपक रावत का कहना है कि उतराखण्ड अपने प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन के लिए जाना जाता है। यहां ऐसे पर्यटकों और निवेशकों की आवश्यक्ता नहीं है, जो उत्तराखंड की धरोहर को नुकसान पहुंचाए। उन्होंने पर्यटन विभाग को भी ऐसे निवेशकों पर नजर रखने को कहा है।

 

 

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