भारत में एक शख्स ऐसा भी, जो चुनाव आने पर दो देशों में डालता है वोट, दो देशों की रखता है वोटर आईडी..
: राशन-पानी मिलता है भारत से, स्वास्थ्य, शिक्षा की सुविधा म्यांमार से
: बिना पासपोर्ट और वीजा के जाते है दोनों देश में
क्या आपने किसी भी चुनाव में दो बार या दो अलग-अलग जगह पर वोट डाला है। आप कहेंगे ये संभव नहीं है, लेकिन भारत में एक ऐसा भी शख्स रहता है जो चुनाव आने पर दो देशों में वोट डालता है। इसके लिए उसके पास दो देशों के वोटर आईडी कार्ड भी हैं। इस शख्स को राशन पानी भारत से मिलता है और स्वास्थ्य व शिक्षा की सुविधा इसे म्यांमार देश देता है।
आगे जानते है आखिर ऐसा कैसे होता है.…
बात करते है भारत के पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड के एक गांव की।
यहां मोन जिले में एक गांव पड़ता है, जिसका नाम लोंगवा है। इस गांव में कोन्याक जनजाति के लोग बसते हैं। गांव के मुखिया टोनीई कोन्याक हैं। जिन्हें ‘आंग’ कहा जाता है। यह गांव भारत और म्यांमार दोनों देशों में फैला है। टोनीई कोन्याक म्यांमार में करीब 30 और भारत में करीब 5 गांवों पर शासन करते हैं। गांव की सीमा का निर्धारण कुछ इस तरह से किया गया है कि ‘आंग’ टोनीई कोन्याक का आधा घर भारत में और आधा घर म्यांमार देश में आता है। इनके घर का बेडरूम भारत में आता है और किचन म्यांमार में है।
आंग के पास भारत और म्यांमार देश के वोटर कार्ड
टोनीई कोन्याक भारत और म्यांमार दोनों देश के वोटर आईडी कार्ड रखते हैं। और दोनों देश में वोट भी डालते हैं। उन्होंने बताया कि गांव को दोनों देशों से फायदा मिलता है, म्यांमार देश उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के लिए विकासात्मक सुविधाएं देता है, जबकि भारत गांव के लिए राशन और पानी की आपूर्ति करता है।
देश की सीमाओं से परे है पारिवारिक रिश्ते
साल 1970-71 में लोंगवा गांव के बीच से बॉर्डर गुजरा था। तभी ये गांव दो देशों के बीच बंट गया। चूंकि यह गांव दोनों देश में आता है, इसलिए यहां दोनों देश के लोगों के बीच पारिवारिक रिश्ते हैं। टोनीई कोन्याक के अनुसार उनका भाई भारतीय हिस्से में रहता है। और वह अपने माता पिता के साथ गांव के म्यांमार वाले हिस्से में रहता है। इनके घर के किचन और बैडरूम के बीच में दोनों देश का बॉर्डर है।
भारत और म्यांमार के बीच (FMR)
दरसल इस गांव में फ्री मूवमेंट रिज़ीम (FMR) लागू है। जिसके तहत भारत, म्यांमार सीमा के आस-पास रहने वाले लोग सीमा के 16 किलोमीटर अंदर तक बिना किसी दस्तावेज के आवाजाही कर सकते थे। गृह मंत्रालय ने इस साल फरवरी में भारत और म्यांमार के बीच फ्री मूवमेंट रिज़ीम (FMR) को खत्म करने का फैसला किया। टोनीई कोन्याक का कहना है कि लोगों की आवाजाही दोनों ही ओर जारी रहती है। ( FMR) के खत्म होने से गांव के लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो सकती है।
म्यांमार की सेना में भी काम करते हैं गांव के लोग
म्यांमार से सटे कई कोन्याक गांव हैं। यहां के कुछ स्थानीय लोग म्यांमार सेना में काम भी करते हैं। इस गांव के लोगों को हेट हंटर्स भी कहा जाता था। यहां दुश्मन का सिर काटने की परंपरा रही है, जिस पर साल 1940 में प्रतिबंध लगा दिया गया। इस गांव के कई लोगों के पास पीतल की खोपड़ी का हार है, जिसे लोग एक जरूरी मान्यता बताते हैं। इस गांव के मुखिया की 60 पत्नियां हैं। और मुखिया का बेटा म्यांमार सेना में है।