दिल्ली

बटर चिकन को लेकर छिड़ी लड़ाई का हाईकोर्ट करेगा फैसला, जानिए क्या है पूरा मामला

Butter Chicken Case: बटर चिकन का ईजाद (invented) दिल्ली में हुआ या फिर पेशावर (peshawar) से यह डिस दिल्ली (Delhi) पहुंची, इस लड़ाई का फैसला अब दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) करेगा। चार महीने पहले कोर्ट में पहुंची इस लड़ाई पर 29 मई को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। बताया जा रहा है कि इस मामले में नए साक्ष्यों के तौर पर दशकों पुराने कुछ फोटोग्राफ और वीडियो पेश किए गए हैं।

दरसल बटर चिकन को लेकर ये लड़ाई किसी रेस्तरां में लोगों के बीच की नहीं है, बल्कि दो रेस्तरां के बीच की है। दो रेस्तरां चेन मोतीमहल और दरियागंज रेस्टोरेंट ने इस लजीज डिस पर अपनी दावेदारी पेश की है। मोतीमहल का कहना है कि इस करी पर दावेदारी का अधिकार सिर्फ उसे ही है। उसके अनुसार, मोतीमहल के संस्थापक कुंदनलाल गुजराल ने दिल्ली आने से पहले 1930 के दशक में पेशावर के एक भोजनालय में क्रीम से भरपूर यह डिश तैयार की थी।

मोतीमहल ने यह भी दावा किया है कि प्रतिवादी दरियागंज रेस्टोरेंट चेन को इस व्यंजन पर दावा जताना बंद करना चाहिए। इसके साथ ही उसने दरियागंज रेस्टोरेंट पर 2.4 लाख डॉलर का हर्जाना भी ठोका है। कोर्ट ने इस मामले में दरियागंज रेस्टोरेंट से जवाब मांगा था। इस पर उसने 642 पेज का जवाबी हलफनामा दिया है। दावा किया कि इसकी स्थापना करने वाले परिवार के सदस्य कुंदन लाल जग्गी ने इस व्यंजन को सबसे पहले दिल्ली में बनाया था।

बताया जा रहा है कि अब दरियागंज रेस्टोरेंट ने इसमें 1930 के दशक की कुछ फोटोग्राफ पेश की हैं। पेशावर में खिंचाई गई इस तस्वीर में दोनों दोस्त नजर आ रहे हैं। इसके अलावा 1949 का साझेदारी समझौता और दिल्ली स्थानांतरित होने के बाद जग्गी का बिजनेस कार्ड और 2017 का उनका एक वीडियाे शामिल है। इसमें उन्होंने यह व्यंजन ईजाद किए जाने के बारे में बताया था।

 

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