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अरविंद केजरीवाल: पहले शराब के खिलाफ आवाज उठाई, फिर खुद शराब नीति बनाई, अन्ना हजारे बोले, अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी उनके कर्मों का फल

 

: केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अन्ना हजारे ने दिया बयान

: अन्ना बोले मैने मना किया था शराब नीति बनाने को, दो बार लिखी केजरीवाल को चिट्ठी

दिल्ली शराब नीति के मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अन्ना हजारे का कहना है कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल को शराब नीति न बनाने की चेतावनी दी थी। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी उनके कर्मों का फल है।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद अन्ना हजारे ने मीडिया को बताया ” मैं बहुत दुखी हूं कि अरविंद केजरीवाल जो कभी मेरे साथ काम करते थे, उन्होंने शराब के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी। अब वह खुद शराब नीतियां बना रहे हैं। उन्होंने अरविंद केजरीवाल को इस तरह की नीति लागू नहीं करने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा, “मैंने बोला था कि हमारा काम शराब नीति बनाना नहीं है। एक छोटा बच्चा भी यह जानता है कि शराब बुरी चीज है। लेकिन उन्होंने नीति बनाई। उन्हें लगा कि वह इससे ज्यादा पैसे कमा लेंगे, इस वजह से उन्होंने इस नीति को लागू किया। मैं इस पर दुखी था; मैंने उन्हें दो बार चिट्ठी भी लिखी।”

अन्ना के आंदोलन से चमके थे अरविंद केजरीवाल

अन्ना हजारे ने 2011 में जनलोकपाल बिल के लिए आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन में अरविंद केजरीवाल भी अन्ना की कोर टीम में शामिल थे। अन्ना हजारे ने नई दिल्ली में जंतर मंतर पर भूख हड़ताल शुरू की। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने किरण बेदी के साथ मिलकर विदेशों से काले धन को वापस लाने के लिए तत्कालीन सरकार को घेरा था। तभी केजरीवाल का नाम जनता के सामने आया था। और इसके बाद केजरीवाल ने अपने राजीनीतिक सफर की शुरुआत की।

क्या है दिल्ली की शराब नीति

दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को राज्य में नई शराब नीति लागू की थी। जिसके लिए राजधानी दिल्ली में 32 जोन बनाए गए थे। हर जोन में 27 दुकानें खुलनी थीं। सभी जोन को मिलाकर 849 दुकानें खोलने का फैसला लिया गया। इस नीति से पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत दुकानें प्राइवेट हो गईं।

पैसा कमाने के लिए लाइसेंस की फीस कर दी करोड़ों में

नई शराब नीति में राज्य सरकार ने लाइसेंस की फीस भी लाखों से बढाकर करोड़ों में कर दी। एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख रुपये देने पड़ते थे, नई शराब नीति में इसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये देने पड़े। इसी तरह अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई।

 

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