यूपी में ऐसा क्या हुआ कि पुलिस पर ही रखी जा रही कड़ी निगरानी? 100 से अधिक पुलिस कर्मियों को विभाग ने किया चिन्हित, निगरानी के लिए गोपनीय टीम…
आम तौर पर पुलिस अपराध और अपराधियों पर नजर रखती है, लेकिन यूपी में पुलिस पर ही कड़ी निगरानी रखी जा रही है। गम्भीर शिकायत मिलने पर 100 से अधिक पुलिस कर्मियों को चिन्हित किया गया है। साथ ही इनकी निगरानी के लिए पुलिस महकमे में एक गोपनीय टीम भी गठित की है। जो एक महीने तक चिन्हित पुलिस कर्मियों की निगरानी करेगी।
पुलिस महकमे को एक अनुशासित महकमा माना जाता है। और इस महकमे में अनुशासन तोड़ना किसी गम्भीर अपराध से कम नहीं है। पुलिस कर्मी अनुशासन में रहें, इसके लिए यूपी पुलिस ने एक कड़ा कदम उठाया है। दरसल यूपी के वाराणसी में पुलिस अधिकारियों को पुलिस कर्मियों द्वारा ड्यूटी के दौरान शराब पीने, आमजन से दुर्व्यवहार करने, आदतन गैरहाजिर रहने और भ्रष्टाचार में लिप्त रहने सम्बन्धी शिकायत मिली थी। शिकायतों को गम्भीरता से लेते हुए पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल के निर्देश पर 122 पुलिसकर्मियों को चिन्हित किया गया है। और इन पुलिसकर्मियों को नोटिस देकर अपना आचरण सुधारने के लिए एक महीने की मोहलत दी गई है। साथ ही इनकी निगरानी के लिए एक गोपनीय टीम भी गठित की गई है। जो इनकी निगरानी करेगी।
इस कारण लिया गया पुलिस पर निगरानी का फैसला
दरसल 17 मार्च की रात को एक शिक्षक धर्मेंद्र कुमार वाराणसी से यूपी बोर्ड की हाईस्कूल की कॉपी लेकर मुजफ्फरनगर पहुंचे। यहां नशे में धुत हेड कांस्टेबल चंद्रप्रकाश से शिक्षक धर्मेंद्र की बहस हो गई। गुस्से में चंद्रप्रकाश ने अपनी सरकारी बंदूक से धर्मेंद्र को गोली मार कर उनकी हत्या कर दी। घटना से नाराज शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन किया। तब पुलिस आयुक्त ने कहा था कि
ड्यूटी के दौरान शराब पीने, आमजन से दुर्व्यवहार करने और भ्रष्टाचार में लिप्त रहने वाले पुलिसकर्मियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्यवाई की जाएगी।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से इंस्पेक्टर तक चिंहित
चिंहित 122 पुलिसकर्मियों में कमिश्नरेट के तीन जोन के 2 इंस्पेक्टर, 15 सब इंस्पेक्टर, 29 हेड कांस्टेबल, 73 कांस्टेबल और तीन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं। विभाग की मानें तो यदि एक महीने में भी चिन्हित कर्मियों ने खुद में सुधार नहीं किया तो इनके खिलाफ नौकरी से बर्खास्तगी तक की कार्यवाई की जा सकती है।